उपभोक्ता का तात्पर्य उस व्यक्ति से होता है, जो अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए सेवाओं अथवा वस्तुओं का क्रय करता है तथा उसका मूल्य चुकाता है।
हालांकि थोक वस्तुएं और सेवाएं खरीद कर उनका पुनर्विक्रय विक्रय करने वाला व्यक्ति उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि वह वस्तुओं अथवा सेवाओं का उपभोग स्वयं नहीं करता बल्कि उन्हें विक्रय के उद्देश्य खरीदता है।
भाड़े पर अथवा उधार वस्तुएं और सेवाएं खरीदने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता हैं बशर्ते वह इनका इस्तेमाल विक्रय के लिए न करें बल्कि खुद उपयोग में लाएं।
उपभोक्ता में उत्पादकता और गुणवत्ता संबंधित जागरूकता को बढ़ाने व उपभोक्ता कानूनों के बारे में लोगों को जानकारी देने के उद्देश्य से हर वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। एक उपभोक्ता होने के नाते आपके कुछ अधिकार भी हैं लेकिन बहुत से लोग अपने इस अधिकार के प्रति उदासीन हैं ।
वर्तमान समय में पूरे विश्व में निजीकरण का दौर चल रहा है और इस दौड़ आप भारत देश भी पीछे नहीं रहा है। इस बदलते युग समय अनुसार कई आर्थिक चुनौतियां भी सामने आराही है और इन चुनौतियों से निपटने के लिए समय अनुसार योजना भी बनानी पड़ती है व बदलाव भी करने पड़ जाते है। निजीकरण के कारण धोखाधड़ी जैसी समस्याएं ग्राहकों के समक्ष बढ़ सकती है। आने वाले समय में भी निजीकरण रहेगा। इसलिए अर्थ व्यवस्था से जुड़े नए विषय और इस संदर्भ में bine विभिन्न कानूनों तथा नियमों की जानकारी ग्राहकों को होना बहुत आवश्यक है। ग्राहक को हर चीज की समझ व जानकारी होनी बहुत जारी है क्योंकि आज के समय में पूरे विश्व का व्यापार एक जगह मोबाइल पर आ चुका है, तो वर्तमान समय में ग्राहक का जागरूक व सचेत होना आवश्यक है। वर्तमान युग सूचना का युग है इस कारण प्रचार तथा प्रसार के साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
किसी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में ग्राहक का बहुत बड़ा योगदान होता है तभी ग्राहक को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। कुछ राज्यों के पाठ्यक्रम में ग्राहक संरक्षण यह विषय है तो कुछ राज्यों में लगातार प्रयास जारी है और यह स्वागत योग्य है। शैक्षणिक पाठ्यक्रम में ग्राहक विषय होने से सिर्फ काम नही बनेगा बल्कि सभी में ग्राहक दृष्टि निर्मित होना आवश्यक है। ग्राहकों के मन में कभी अकेलेपन की भावना उत्पन्न ना हो इसके लिए ग्राहक संगठनों के द्वारा लगातार प्रयास किए जाने चाहिए। देश की स्वदेशी वस्तुओ के व्यापार से देश का धन देश में ही रह जाएगा। इसके अलावा स्थानीय व्यापारियों तथा ग्राहकों के बीच विश्वास का वातावरण निर्मित होगा, उचित व्यापार तथा आपसी व्यवहार से आर्थिक व्यवस्था का परिसंचरण बढ़ेगा और धन का संचार बढ़ेगा|
मेगा सेल, डिस्काउंट की नई संस्कृति तथा बड़े बड़े कंपनी के निवेश से बाज़ार का अंकगणित इस क़दर बिगड़ा है कि छोटे एवं मझौले व्यापारी पर अस्त्तिव का संकट खड़ा हो गया है। बड़े-बड़े उद्योगपति का मोबाइल एप एवं ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से अगररेग्रेटर बन किराना दुकान,फ़ल, सब्ज़ी, दवा, रेस्टुरेंट सहित छोटे-छोटे बाज़ार में ज़बरन कब्ज़ा करने से दुकानदार एक डिलीवरी एजेंट बन कर रह गया है।
जब अनुचित व्यापार प्रथाएं और लालची कंपनियां उपभोक्ताओं का शोषण करती हैं, तो जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस एक बहुत ही आवश्यक दिन है। यह हमें तेज और स्मार्ट उपभोक्ता बनने के उपकरण देता है। दुनिया में हर कोई उपभोक्ता है, यहां तक कि वे लोग भी जो उन कंपनियों के मालिक हैं जिनसे हम खरीदते हैं। इसलिए, यह सभी के लिए उपभोक्ताओं के रूप में अपने अधिकारों के बारे में अधिक जानने का एक दिन है। यदि दुनिया के सभी लोग एक साथ कार्य करते हैं और उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं, तो उपभोक्ता अधिकारों की बात आने पर दुनिया बेहतर हो जाएगी।