एक ऐसा नाम जिन्होंने रास्ता चुना तो संघर्ष का रास्ता चुना…
जी हां यह बात हो रही है मुलायम सिंह यादव की
हालांकि मुलायम सिंह हमारे बीच में नहीं है लेकिन जिंदगी और सियासत का मूलमंत्र क्या है और क्यों है संघर्ष … यह उन्होंने हमे अपनी पूरी ज़िन्दगी में बता दिया
तो आइये कुछ ऐसी पहलुओं को जानते है और कुछ ऐसी बारीकियों को समझते हैं कि मुलायम सिंह यादव आखिरकार मुलायम सिंह यादव कैसे बने।
नमस्कार स्वागत है आपका विकासशील भारत पर।
सियासी सफ़र में ऐसे पड़ाव आए जब मुलायम सिंह यादव समझौता कर सफ़लता के नए रास्ते तलाश सकते हैं।
खलनायक का तमगा पाने की जग नायक की भूमिका भी चुन सकते हैं मगर रास्ता चुना तो संघर्ष का चुन लिया।
कई ऐसी घटनाए, फ़ैसले है जिनका ज़िक्र किए बिना ना तो मुलायम को समझा जा सकता ह और न देश प्रदेश में हुए सियासी बदलाव को और ना ही कांग्रेस के पतन एवं भाजपा के उभार को
चलिये आपको छोटे छोटे ऐसे किस्से सुनाते है जिसे सुनकर आपको भी मज़ा आएगा और शायद यह किस्से आपको न पता हो की
दारसल बात हैं 1990 के दशक की विश्व हिन्दू परिषद द्वारा श्री राम जन्मभूमि में मुक्ति आंदोलन के खिलाफ ।।प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कड़े तेवरों और अयोध्या में किसी परिंदा को भी पर न मारने देने की घोषणा एवं दूसरी तरफ विहिप एवं श्री राम जन्मभूमि में मुक्तियज्ञ समिति के हर हाल में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या पहुंच कर कर सेवा करने की घोषने ने माहौल को तनावपूर्ण बना दया था ।
दूसरा किस्सा
बोफाॅर्स तोप एवं पांडूपी खरीद घोटालो की विरोध में चल रहे आंदोलन स नायक बन कर मुलायम सिंह यादव उभर गये थे।
इस घटना ने ज़्यादातर हिन्दुओ की नज़र में उन्हें लेकिन खलनायक बना दिया था। सुरक्षाबलो के गोली चलाने और कारसेवको की मौत से नाराज तमाम लोगो ने मुलायम के नाम के आगे मुुल्ला जोड़ दिया था
ये वो दौर वो था जब मुलायम को हिन्दुओ का विरोधी और मुसलमानो का हितैषी बताया जाने लगा। पर मुलायम ने चतुराई से इन आलोचनाओं को भी अपना वोट बैंक मजबूत करने का राजनितिक हथियार बना लिया था । और उसमे वो कामियाब भी हो गए थे।
यादव जातियो आधार पर मुलायम से जुड़े तोह मुसलमानो की लामबन्दी ने नेता जी को किसी दूसरे नेता क नेतृत्व वाली पार्टी में रेह कर सांसद विधायक बनने क बजाये समाजवादी पार्टी बनाने का रास्ता दिखा दिया नतीजा कांग्रेस गिर गयी और समाजवादी पार्टी शिखर पर पोहच गयी ।
मुलायम क बारे में यह कहा जाता ह की मुलायम ने कहावत को झूटा करार दे दया और वो कहावत थी अकेला चना कबि बी भांड नहीं फोड़ सकता है। बसपा और भाजपा क गठबंधन में मुलायम की भूमिका हम थी ।।। जी हाँ अब आप सोच रहे होगे की भाजपा में मुलायम की ख्य भूमिका है नहीं जनाब भाजपा और बसपा क गठबंधन में मुलायम की ही सबसे बड़ी भूमिका है । क्योंकि इस कांड के चलते ही मुलायम और काशीराम का पिछड़ो और दलितो क साथ मुस्लिम वोटो को जोड़ कर सत्ता पर कब्जा करने का फार्मूला बिखर गया था और इस काण्ड ने यूपी की सियासीबाजी ही पूरे तरीके से बदल दी थी।
मुलायम सिंह यादव का जब जब इतिहास में उल्लेख होगा तो उनकी हिंदी प्रेम का ज़िक्र किये बिना यह पूरा नहीं होगा।।।
डॉक्टर राम मनोहर लोहिया का यह शिष्य तथा डॉक्टर लोहिया की तरफ से चलाये गए अंग्रेज हटाओ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले मुलायम ने हमेशा हिंदी के लिए जब भी मौका मिला उसे भरपूर सम्मान दिलाने की कोशिश की ।
सरकारी आदेशों में होने वाले पत्राचार को अनिवार्य रूप से हिंदी में करने की मुलायम ने ही व्यवस्था लागु करवाई है।
धरतीपुत्र की ऐसी बात जो शायद ही आप जानते हो
आखिर में आपको बताते है की क्यों उन्हें धरती पुत्र कहा जाता था
विदेशी नागरिकता के जिस मुद्दे को उठा कर मुलायम सिंह अर्थात नेता जी ने सोनिया गाँधी क प्रधानमंत्री बनने की राह में रोड़ा खड़ा कर दिया था उन्हीं सोनिया के नेतृत्व वाले कांग्रेस को न्यूक्लियर डील पर समर्थन देकर उसकी सरकार भी बचा ली थी यहीं वो कारण थे जिसके कारण लोगो ने उन्हें नेता जी या धरती पुत्र का नाम दिया।।
ऐसे बहुत सारे किस्से कहानी है जिसके कारण आप नेता जी यानी की मुलायम सिंह यादव को बार बार याद करेंगे और हमेशा इतिहास में उनके नाम का उल्लेख होगा क्योंकि वैसा नेता उत्तर प्रदेश एवं पुरे भारत की सियासत में न त कभी आया था और अब यह भी नहीं लगता है की आगे भी आएगा ।
ब्यूरो रिपोर्ट
विकास शील भारत