गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश पुलिस नॉन-स्टॉप यात्रा में गुजरात से प्रयागराज लाया गया है। पुलिस का काफिला राजस्थान के उदयपुर में रात करीब 8 बजे खेरवाड़ा शहर में दाखिल हुआ और बाद में जिले में पहला ईंधन भरने वाला स्टॉप लिया गया।
2019 से साबरमती जेल में बंद अतीक को उमेश पाल के अपहरण के एक पुराने मामले में वापस प्रयागराज लाया गया है, जिसमें वह मुख्य आरोपी है। सूत्रों के मुताबिक, 1,200 किलोमीटर की सड़क यात्रा के दौरान कोई ठहराव नहीं हुआ और काफिला केवल ईंधन भरने के लिए रोका गया। थकाऊ यात्रा के लिए काफिले में अतिरिक्त ड्राइवर होते हैं। उत्तर प्रदेश (प्रयागराज) पुलिस की टीम अतीक को लाने के लिए नैनी जेल पहुंच चुकी हैं। थोड़ी देर में पुलिस की टीम अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को लेकर कोर्ट के लिए निकलेंगी।
अतीक की याचिका पर जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच सुनवाई करेगी। बीते सोमवार यानी की 27 मार्च को उमेश पाल हत्याकांड में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को भारी सुरक्षा के बीच नैनी जेल लाया गया है। माफिया डॉन अतीक अहमद को गुजरात से मध्य प्रदेश और राजस्थान के रास्ते उत्तर प्रदेश के प्रयागराज लाया गया है। 25 जनवरी 2005 को बसपा पार्टी के विधायक राजू पाल की गोली मारकर निर्माण हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 5 आरोपी नामजद थे। जबकि चार अज्ञात को आरोपी बनाया था। इस केस में राजू पाल के रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह था। 28 फरवरी 2006 को उमेश का अपहरण हुआ था और इसका आरोप अतीक अहमद और उसके साथियों पर लगा था। उमेश ने आरोप लगाया था कि अतीक ने उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण मामले में आज यानी की मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट फैसला सुना सकती है। इस मामले में बाहुबली अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ समेत 11 लोग आरोपी हैं। अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाया गया है और इसके अलावा एक अन्य आरोपी फरहान को भी लाया गया है।
सपा के पूर्व सांसद अतीक अहमद पर उमेश पाल की हत्या के मामले में नवीनतम सहित 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। अतीक की आपराधिक कहानी 1979 में शुरू हुई जब उसे एक हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया। दस साल बाद, उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 1989, 1991 और 1993 में चुनावों में निर्दलीय के रूप में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट जीती। उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर सीट से 1996 का चुनाव लड़ा और विजयी हुए। 1999 में, वह अपना दल (AD) में शामिल हो गए और प्रतापगढ़ सीट हार गए। उन्होंने अपना दल के टिकट पर 2002 के विधानसभा चुनाव में फिर से इलाहाबाद पश्चिम सीट जीती। 2003 में, अतीक सपा के पाले में लौट आए और 2004 में, उन्होंने फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की – यह सीट कभी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास थी। उन्हें 2005 में राजू पाल की हत्या में आरोपी के रूप में नामित किया गया था।
2012 के विधानसभा चुनावों में, अतीक ने फिर से उसी सीट से अपना दल के साथ अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन बसपा की पूजा पाल से 8,885 मतों के अंतर से हार गए। उन्होंने 2014 में सपा के टिकट पर श्रावस्ती से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे।
2019 में, जब वह जेल में था, अतीक ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया, लेकिन केवल 855 वोट प्राप्त करने में सफल रहा। योगी आदित्यनाथ सरकार के तहत गैंगस्टरों के खिलाफ निरंतर अभियान में, गैंगस्टर अधिनियम के तहत अतीक और उसके परिवार के सदस्यों की 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई है, आईएएनएस ने बताया।
Author @AnkushPrakash