क्या विदेश में बसे भारतीय कभी भारत आना ही नहीं चाहते हैं
3.92 लाख लोगों ने छोड़ दी भारतीय नागरिकता,आखिर क्यों हैं ऐसा
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों के दौरान 3.9 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी हैं और साल 2021 में 1.63 लाख से अधिक लोगों ने नागरिकता छोड़ी है यानी कि साल 2021 में सबसे ज्यादा नागरिकता छोड़ी गई है गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, प्रवासी भारतीयों के लिए अमेरिका सबसे पसंदीदा देश बना है. यह 103 देशों की सूची में सबसे आगे है. 2021 में 78,000 से अधिक भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता ली है.हाल के वर्षों में देश की नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में वृद्धि हुई है. हालांकि 2020 का साल अपवाद रहा है, इसका कारण कोविड लॉकडाउन रहा।
इसमें गौर करने वाली बात यह है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि भारत दोहरी नागरिकता नहीं देता है, दूसरे देशों में नागरिकता हासिल करने के इच्छुक लोगों को भारत की नागरिकता छोड़नी होती है. हालांकि, ऐसे लोग भारत के विदेशी नागरिक (ओसीआई) कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं. इससे उन्हें भारत में रहने, काम करने या कारोबार चलाने के संबंध में कुछ रियायतें मिल जाती हैं.नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 8 और नागरिकता नियम, 2009 के नियम 23, किसी व्यक्ति के लिए अपनी नागरिकता त्यागने के तरीके तय करते हैं
इस प्रक्रिया को आप ऑनलाइन तरीके से भी कर सकते हैं।
संसद में जो आंकड़े बताए गए हैं उसके मुताबिक नागरिकता छोड़ने के लिए भारतीयों ने पिछले तीन वर्षों के दौरान अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन को सबसे ज्यादा पसंद किया है|
अब बात सबसे अहम मुद्दे की करते हैं यानी कि भारतीय नागरिकता छोड़ना क्यों चाहते हैं?
संसद में जब पूछा गया कि ये भारतीय अपनी नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं, तब जवाब में यह सामने आया कि इन्होंने व्यक्तिगत कारणों से अपनी नागरिकता छोड़ी.भारतीयों के विदेश जाने और यहां तक कि अपनी नागरिकता छोड़ने के बहुत से कारण होते हैं. लेकिन एक मुख्य वजह बेहतर जीवन की तलाश होती है.इंटरनेशन्स द्वारा 2021 में किए गए एक्सपैट इनसाइडर सर्वे के अनुसार, 59 फीसदी भारतीयों ने रोजगार के बेहतर अवसरों के लिए विदेश में बसना पसंद किया.
अपने जीवन में बेहतरी की चाहत को पूरा करने के लिए भारतीयों ने अमेरिका का सबसे ज्यादा पसंद किया है. अमेरिका में, भारतीय अमेरिकी दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह है. वहां, यह समूह धनी और सबसे शिक्षित में से एक है.आंकड़े बताते हैं कि एक भारतीय अमेरिकी परिवार की औसत आय करीब 123,700 डॉलर है, जो भारत की औसत आय 63,922 डॉलर से लगभग दोगुनी है।इसके अलावा अगर बात की जाए तो विदेशों में लोगो को वर्कप्लेस का माहौल भी भारत से कही बेहतर स्थिती में मिलती हैं यहीं नहीं सैलरी स्ट्रक्चर भी वहा का ज्यादा होता हैं।
शिक्षा के मामले में भी वहां बेहतर सुविधाएं मुहिया करवाई जाती हैं।
लोगो को भारत से भावनात्मक जुड़ाव तो हैं लेकिन उन्हें फ़ायदे बहुत कम मिलते हैएक महीने पहले ही ब्रिटिश फर्म की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि करीब 8,000 करोड़पति इस साल विदेश में शिफ्ट हो सकते हैं। अमीरों के भारत से पलायन की मुख्य वजह टैक्स से जुड़ा सख्त नियम बताया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि ये लोग उन देशों में जाना चाहते हैं जहां का पासपोर्ट ज्यादा पावरफुल माना जाता है। इसके अलावा बेहतर लाइफस्टाइल, बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की चाह में कई भारतीय विदेश में बसना चाहते हैं। भारतीय अब ज्यादा रिस्क ले रहे हैं। ऐसे में युवा भारतीय दूसरे देशों में बिजनस और निवेश की संभावनाएं तलाश रहे हैं।