आपके मन में एजुकेशन पॉलिसी को लेकर कई सवाल होगे तो आइए कुछ सवालों के उत्तर हम बताते है। आज विकासशील भारत ने पूर्व IAS N.P Singh (वर्तमान भारतीय शिक्षा बोर्ड अधिकारी) से खास बातचीत की। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के दिल्ली प्रांत अध्यक्ष Rajveer Singh Solanki ने शिक्षा से जुड़े कई सवाल पूछे।
पहले कहा जाता था की शिक्षा किसी सुविधा की मोहताज़ नही होती लेकिन इस कहावत को वर्तमान में जनता ने बदल दिया है, की जहा सुविधा है वही शिक्षा है क्या आपको भी ऐसा लगता है की जहां सुविधा उपलब्ध होगी वही शिक्षा होगी तो चलिए हम आपको बताते है की शिक्षा और सुविधा दोनो ही अलग चीज है, बिना सुविधा के शिक्षा को ग्रहण किया जा सकता है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनो को मिलकर निशुल्क शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा तभी मानसिकता को बदला जा सकता है।
आज की दौर में लोगों की शिक्षा को लेकर मानसिकता होगी है की जो विद्यालय अंग्रजी सीखा दे वही सही शिक्षा है और इसका दूसरा पहलू देखे तो जो कम आय वर्ग के लोग है वो तो फिर इस अंग्रजी शिक्षा को ग्रहण ही नही कर पाएंगे तो सरकार को इस मानसिकता को बदलने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए। अंग्रजी शिक्षा पाने वाले लोग ही सिर्फ नौकरी या व्यवसाय नही कर सकते, हिंदी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले लोग भी बहुत कुछ कर सकते है और कर भी रहे हैं।
पहले लोगो की मानसिकता थी की जिस बच्चे की गणित अच्छी होगी वो विद्यार्थी अच्छा होगा लेकिन वर्तमान में समय के अनुसार लोगों का मानना भी बदल गया है की जिस बच्चे की अंग्रजी अच्छी होगी उसका भविष्य अच्छा होगा। भारत में ज्यादातर व्यक्ति की मानसिकता है की नौकरी करनी है और हम शादी के लिए भी जाते है तो सबसे पहले नौकरी देखते है, व्यक्ति के पास दूसरा विकल्प है बिजनेस का लेकिन लोग डरते हैं, सायद उनको अपनी काबिलियत पर सक या सवाल है। न्यू एजूकेशन पॉलिसी में सरकार ने वोकेशनल एजुकेशन को एकेडमिक एजुकेशन के बराबर महत्व दिया जाए ताकि आपको नौकरी या व्यवसाय के लिए शहर के तरफ न भागना पड़े और आप अपने ही शहर में रोजगार पा सके।
पूरे आर्टिकल में जितने भी सवाल है उसमे एक ही बात जो देखी गई है की लोगो की समय के अनुसार बदलती मानसिकता, तो विद्यार्थियों और लोगो का सवालों पर मंथन करना जरूरी है।